नासिक से दिल्ली वापसी के लिए शाम की ट्रेन थी और पहले दिन लगातार बारिश हो रही थी। ददा ने कहा कल हरिहर फोर्ट चलते हैं। मैंने सोचा मोसम खराब रहेगा तो शायद प्लान कैंसिल हो जायेगा । मैने सोचा थोड़े वीडियो देख लूं जहां जाने का प्लान है। यू ट्यूब पर वीडियोज देख कर मुझे लगा बारिश मे जाना ज्यादा ही रिस्क हो जायेगा। फिर सोचा कल का कल देखेंगे।रात भर बादल बरसते रहे। अगले दिन सुबह से ही आंधी तूफान और तेज बारिश थी। पर दा का प्लान पक्का था और सुबह 8.30 पर हम कार से निकल गये। शायद 1-1.30 घंटे में हम पार्किंग के पास खड़े थे आंधी तुफान और घोर बारिश में। मैंन सोचा चलो जहां तक जाया जायेगा जाते है। और दोनों निकल पड़े।
1 जोड़ी कपड़े और तौलिये गाड़ी में रिजर्व रखे थे, वापसी के लिए। मुझे फिसलने से बहुत डर लगता है पर शुक्र की बात थी वहां की मिट्टी और पत्थर फिसलनदार नहीं थे। लगभग 3 किमी ट्रैक के बाद आयी 80 डिग्री एकदम सीधी चढाई वाली बिना रस्सी या सहारे की सीढियां। पर सीढियों के कोनों में बने खांचे अच्छी ग्रिप बना देते है। इस चढाई में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां शायद कमजोर दिल वाले ना चढ जायें क्योंकी सीधी चडाई है और पकढने के लिए कुछ नहीं पर आते जाते लोगों को देख कर हिम्मत बने रहती है। भाई का ये दूसरी बार का ट्रैक था तो उसे अनुभव था। भारी बारिश के साथ ही मैंने भी भगवान का नाम लेकर चढाई शुरू की। इन फेमस सीढियों के पीछे की तरफ वाली सीढियां भी कोई कम खतरनाक नहीं है। बंदरों के दल अलग से आते जाते रहते हैं वो भी इतने पास से की आंखों से आंखे मिल जाती है। एक झुण्ड हमें भी मिला। हमने भी सरेंडर कर दिया। जब वो गये जब हम हिले। नीचे आते समय भी पूरी सावधानी बरतनी पडती है। रोमांचक सफर रहा। रोमांच का एक नया अनुभव था। बस मौसम इतना जोर से बरसता रहा की कैमरा खराब होने की डर से ज्यादा फोटो और वीडियो नहीं ले पाये।